Supreme Court New 2024: बिना कोर्ट जाए कब्जा करने वाले से छुड़वा सकते हैं अपनी Property, जानिये सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
Supreme Court New: संपत्ति पर कब्जे के मामले में प्रधानमंत्री ने अहम फैसला सुनाया है। आपके लिए उन बातों को जानना जरूरी है जो सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाते हुए कही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बताया कि अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपकी संपत्ति पर जबरन कब्जा कर लेता है तो आप बिना कोर्ट जाए अपनी संपत्ति कैसे छुड़वा सकते हैं।
अगर किसी ने आपकी Property यानी घर या जमीन पर कब्जा कर रखा है तो आप बिना कोर्ट जाए उसे खाली कर सकते हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक अहम फैसला सुनाया गया है।
Supreme Court New: पूनाराम बनाम मोती राम मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति दूसरे की संपत्ति पर अवैध कब्जा नहीं कर सकता। अगर कोई इस तरह से किसी और की संपत्ति पर कब्जा कर लेता है तो संपत्ति मालिक को बलपूर्वक कब्जा खाली करने का अधिकार है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि आप उस Property के मालिक हों और वह आपके नाम पर हो यानी आपके पास उस Property का टाइटल होना जरूरी है।
ऐसे खाली करा सकते हैं अपनी Property
Supreme Court New: देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि अगर आपके पास Property टाइटल है तो आप 12 साल बाद भी अपनी Property पर कब्जा खाली कर सकते हैं। इसके लिए कोर्ट में मुकदमा दायर करने की जरूरत नहीं है। हां, अगर आपके पास संपत्ति का मालिकाना हक नहीं है और उक्त व्यक्ति का कब्जा 12 साल हो चुका है तो इस स्थिति में आपको कोर्ट में केस फाइल करना होगा। ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई के लिए विशिष्ट राहत अधिनियम 1963 अधिनियमित किया गया है।
Supreme Court New: विशिष्ट राहत अधिनियम की धारा 5 के तहत दूसरों की संपत्ति पर अवैध कब्जा खाली करने का प्रावधान किया गया है। हालांकि Property के विवाद में पहले स्टे लेना चाहिए, ताकि कब्जाकरने वाला उस Property पर कोई निर्माण न कर सके और न ही उसे किसी और को बेच सके। स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट के सेक्शन 5 के तहत अगर कोई Property आपके नाम पर है यानी उस Property का टाइटल आपके पास है और उस Property पर किसी ने अवैध कब्जा कर रखा है तो उसे खाली कराने के लिए सिविल प्रोसीजर कोड (सीपीसी) के मुताबिक केस दर्ज कराना होता है।
जानिये, Property विवाद में कौन सी लगती है धारा
धारा 406: अक्सर लोग उन पर रखे गए भरोसे का फायदा उठाते हैं। वे जमीन या अन्य संपत्ति पर रखे गए विश्वास और भरोसे का फायदा उठाकर उस पर कब्जा कर लेते हैं। इस धारा के तहत पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत पुलिस को दे सकता है।
धारा 467: इस कानून के मुताबिक अगर किसी की जमीन या अन्य संपत्ति फर्जी दस्तावेज बनाकर हड़प ली जाती है और कब्जा स्थापित हो जाता है तो ऐसे मामले में पीड़ित धारा 467 के तहत अपनी शिकायत दे सकता है। इस तरह से जमीन या संपत्ति हड़पने के मामलों की संख्या बहुत अधिक है। ऐसे मामले संज्ञेय अपराध हैं और इनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इन अपराधों से समझौता नहीं किया जा सकता।
धारा 420: यह धारा विभिन्न प्रकार के धोखाधड़ी और जालसाजी के मामलों से संबंधित है। इस धारा के तहत संपत्ति से जुड़े विवादों में भी पीड़ित अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।
Property के मालिकाना हक पर बड़ा फैसला
Supreme Court New: संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अचल संपत्ति के मालिकाना हक का हस्तांतरण रजिस्टर्ड Documents के आधार पर नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि Property ट्रांसफर के नियम सिर्फ ट्रांसफर ऑफ Property एक्ट के तहत रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट के आधार पर ही किए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत प्रावधान है कि Property का मालिकाना हक तभी हो सकता है, जब दस्तावेज रजिस्टर्ड हो।
Supreme Court New: सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा कि वह संपत्ति का मालिक है और यह संपत्ति उसे उसके भाई ने गिफ्ट डीड के रूप में दी थी और इस तरह यह संपत्ति उसकी है और संपत्ति पर उसका कब्जा है। वहीं, प्रतिवादी ने संपत्ति के लिए दावा पेश किया और कोर्ट को बताया कि उसके पक्ष में बेचने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी, हलफनामा और एग्रीमेंट है। इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रतिवादी का दावा सही नहीं है क्योंकि जिस दस्तावेज के आधार पर उसने दावा दायर किया है वह वैध नहीं है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि उसके पास गिफ्ट डीड से जुड़े सबूत हैं।
Supreme Court New: सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह भी रखा गया था कि किसी भी अचल संपत्ति का स्वामित्व पंजीकृत Documents के बिना नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्थापित कानूनी व्यवस्था है कि पंजीकृत Documents के बिना अचल संपत्ति का स्वामित्व हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। इन सिद्धांतों के तहत, प्रतिवादी (संपत्ति का दावा) का मुकदमा नहीं टिकता है और उक्त आधार पर इसे खारिज कर दिया जाता है और याचिकाकर्ता की अपील की अनुमति दी जाती है।
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Conclusion (निष्कर्ष):- Supreme Court New :
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